Monday, 4 July 2016

4 JUL 2016 ASHADH/SOMVATI AMAVASYA

आषाढ़ अमावस्या की कथा एवम इतिहास

somvati amavasya storyधार्मिक ग्रंथो के अनुसार जब किसी भी माह की अमावस्या सोमवार के दिन होती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते है। इस वर्ष आषाढ़ माह में अमावस्या सोमवार को पड़ रही है। तदनुसार आषाढ़ माह की सोमवती अमावस्या सोमवार 4 जुलाई 2016 को मनाई जाएगी। somvati amavasya story
सोमवती अमावस्या पितरों के तर्पण कार्यो के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इस दिन सोमवारी व्रत भी किया जाता है। सोमवार दिन भगवान शिव जी को समर्पित है। इस दिन पूजा-पाठ करने से व्रती को काल, भय, पीड़ा, रोग आदि से मुक्ति मिलती है। सोमवती अमावस्या जब सोमवार के दिन पड़े तो यह अति शुभ माना जाता है।    somvati amavasya story  

सोमवती अमावस्या पर पीपल पूजा

वेदों, पुराणों एवम शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष की पूजा बहुत फलदायी होती है। इस दिन पीपल वृक्ष को दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन आदि से पूजा करने पर अमोघ फल की प्राप्ति होती है। पीपल वृक्ष के चारों ओर 108 बार रोली से धागा लपेट कर परिक्रमा पूर्ण करें।
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इस विधि को करने से अनेक प्रकारों की कठिनाई से मुक्ति मिलती है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष की पूजा करने से पितृदोष, ग्रहदोष और शनिदोष के बुरा प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है तथा परिवार में सुख,वैभव और शांति का आगमन होता है।

सोमवती अमावस्या महत्व somvati amavasya story

सोमवती अमावस्या के दिन स्नान दान करने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहना सरोत्तम फलदायी होता है। वेदों के ज्ञाता वेदव्यास जी के अनुसार इस दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्त्र गौ दान के समान पुण्य प्राप्त होता है। somvati amavasya story  

सोमवती अमावस्या स्नान-दान somvati amavasya story

इस दिन प्रातः काल उठें। दैनिक कार्य से निवृत होकर संभव हो तो पवित्र नदियों अथवा सरोवरों में स्नान करें। भगवान श्री कृष्ण जी के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य सभी दुखो से मुक्त होकर सुख को प्राप्त करता है तथा इस कार्य से मनुष्य के पितरो की आत्माओं को शांति प्राप्त होती है।
स्नान करने के पश्चात भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दें एवम नदी में तिल का प्रवाह करें। तत्पश्चात भगवान शिव जी एवम पीपल वृक्ष की पूजा नियमानुसार करें। पूजा सम्पन्न होने के पश्चात अपने सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों एवम गरीबों को दान देना चाहिए। इस प्रकार सोमवती अमावस्या की कथा सम्पन्न हुई। प्रेम से बोलिए भगवान शिव जी की जय।  somvati amavasya story  
( प्रवीण कुमार )
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