Tuesday, 16 August 2016

16 AUG 2016 MAA GAYATRI JAYANTI

मां गायत्री मंत्रGoddess gayatri Mantra

मां गायत्री मंत्र (Goddess Gayatri)
माता गायत्री शक्ति, ज्ञान, पवित्रता तथा सदाचार का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि गायत्री मां की अराधना करने से जीवन में सूख-समृद्धि, दया-भाव, आदार-भाव आदि की प्राप्ति होती हैं। माता गायत्री जी के कुछ मंत्र निम्न हैं:
माता गायत्री के मंत्र (Mantra of Mata Gayatri in Hindi)
मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए वस्त्र अथवा ओढ़नी चढ़ाना चाहिए-
ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्मवरूथमासदत्स्वः |
वासोग्ने विश्वरूपर्ठ संव्ययस्व विभावसो ||
Maa Gayatri ki pooja ke dauran is mantra ko padhte huye vastra athva odhani chadhana chahiye-
Om Sujaato Jyotisha Sah Sharmvaroothamaasadatsvah |
Vaasogne Vishvarooparth Vibhavaso ||
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मां गायत्री की पूजा में उन्हें इस मंत्र के द्वारा मुकुट चढ़ाना चाहिए-
मातस्तवेमं मुकुटं हरिन्मणि-प्रवाल-मुक्तामणिभि-र्विराजितम् |
गारूत्मतैश्चापि मनोहरं कृत गृहाण मातः शिरसो विभूषणम् ||
Maa Gayatri ki pooja me is mantra ke dwara mukut chadhana chahiye-
Maatastavemam Mukutam Harinmani-Pravaal-Muktaamanibhi-Rviraajitam |
Gaarutmataishchaapi Manoharam Krit Grihaan Maatah Shirso Vibhooshanam ||
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इस मंत्र के द्वारा मां गायत्री को धूप दिखलाना चाहिए-
दशांगधूपं तव रंजनार्थं नाशाय मे विघ्नविधायकानाम् |
दत्तं मया सौरभचूर्णयुक्तं गृहाण मातस्तव सन्निधौ च ||
Is mantra ke dwara Maa Gayatri ko dhoop dikhalaana chahiye-
Dashaangadhoopam Tav Ranjanaartham Naashaya Me Vighnavidhaayakaanaam |
Dattam Maya Saurabhchoornayuktam Grihaan Maatastav Sannidhau Ch ||
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मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए-
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् |
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ||
Maa Gayatri ki pooja me is mantra ko padhte huye unhe pushpaanjali arpit karna chahiye-
Om Yagyen Yagyamayajant Devaastaani Dharmaani Prahtamaanyaasan |
Te Ha Naakam Mahimaanah Sachant Yatra Poorve Saadhyaah Santi Devah ||
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मां गायत्री की आरती करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
इदर्ठ हविः प्रजननं मे अस्तु दशवीरः सर्व्गणर्ठ स्वस्तये |
आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि लोकसन्यभयसनि ||
Maa Gayatri ki aarti karte samay is mantra ka uchcharan karna chahiye-
Idarth Havih Prajananam Me Astu Dashveerah Sarvganarth Svastaye |
Aatmasani Prajaasani Pashusani Lokasanyabhayasani ||
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मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र का उच्चारण करते हुए पूगीफल समर्पण करना चाहिए-
ॐ याः फ़लिनीर्या अफ़ला अपुष्पायाश्च पुष्पिणीः |
बृहस्पतिप्रसूतास्तानो मुंचन्त्वर्ठ हसः ||
Maa Gayatri ki pooja me is mantra ka uchcharan karte huye poogeefal samarpan karna chahiye-
Om Yaah Falineeryaa Afalaa Apushpaayashch Pushpineeh |
Brihaspatiprasootaastaano Munchntvarth Hasah ||
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मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें पुष्प अर्पित करना चाहिए-
ॐ ओषधीः प्रतिमोददध्वं पुष्पवतीः प्रसूवरीः |
अश्चा इव सजित्वरीवींरूधः पारियिष्णवः ||
Maa Gayatri ki pooja me is mantra ka uchcharan karte huye unhe pushp arpti karna chahiye-
Om Oshadheeh Pratimodadadhvam Pushpvateeh Prasoovarih |
Ashchaa Iv Sajitvareeveenroodhah Paariyishnavah ||
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मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें ताम्बूल समर्पण करना चाहिए-
कर्पूर्-जातीफ़ल-जायकेन ह्येला-लवंगेन समन्वितेन |
मया प्रदत्तं मुखवासनार्थं ताम्बूलमंगी कुरू मातरेतत् ||
Maa Gayatri ki pooja ke dauran is mantra ko padhte huye unhe tambool samarpan karna chahiye-
Karpoor-Jaatifal-Jaayaken Hyelaa-Lavangen Samanviten |
Maya Pradattam Mukhavaasanaartham Tamboolmangee Karu Maataretat ||
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इस मंत्र को पढ़ते हुए मां गायत्री को सिन्दूर समर्पण करना चाहिए-
ॐ अहिरिव भोगैः पर्येति बाहुं ज्यायाहेतिं परिबाधमानाः |
हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान्पुमान पुमार्ठ सम्परिपातु विश्वतः ||
Is mantra ko padhte huye Maa Gayatri ko sindoor samarpan karna chahiye-
Om Ahiriv Bhogaih Paryeti Baahum Jyaayaahetim Paribaadhamaanah |
Hastghno Vishva Vayunaani Vidvaanpumaan Pumaarth Samparipaatu Vishvatah ||
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मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उनका आवाहन करना चाहिए-
आयाहि वरदे देवि त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि |
गायत्रि छन्दसां मातर्ब्रह्ययोने नमोस्तु ते ||
Maa Gayatri ki pooja ke dauran is mantra ka uchcharan karte huye unka aavahan karna chahiye-
Aayahi Varde Devi Tryakshare Brahmavaadini |
Gayatri Chhandasaam Maatarbrahyayone Namostu Te ||
इन्हें भी पढ़ेंः-
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गायत्री जयन्ती की कथा एवम इतिहास



 know-history-and-story-of-gayatri-jayanti
हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी को गायत्री जयंती मनाई जाती है। तदनुसार इस वर्ष गुरूवार 16 जून 2016 को गायत्री जयंती मनाई जाएगी। माँ गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में माँ गायत्री को सम्पूर्ण वेदो की माता कहा जाता है। इस दिन पुरे देश में गायत्री जयंती का उत्स्व मनाया जाता है। devotional gayatri jayanti story  

धार्मिक मान्यताएँ devotional gayatri jayanti story  

धर्म ग्रंथो में वर्णित है कि माँ गायत्री की उपासना करने वाले साधक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है एवम साधक को कभी किसी वस्तु की कमी नही होती है। गायत्री मन्त्र के जाप से प्राण, प्रजा, कीर्ति, धन, पशु, आदि का प्रतिफल प्राप्त होता है। devotional gayatri jayanti story 
जो मनुष्य माँ गायत्री की विधि पूर्वक पूजा करता है उसके चारो ओर रक्षा कवच का निर्माण माँ गायत्री स्वंय करती है जिससे विप्पति के समय रक्षा होती है। योग पद्धति में माँ गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता है। devotional gayatri jayanti story
गीता में भगवान कृष्ण जी ने योगरूढ़ पद्धति में इस बात का उल्लेख किया है कि मनुष्य को गायत्री तथा ॐ मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए। वेदो एवम पुराणो के अनुसार माँ गायत्री पंचमुखी है। तात्पर्य है, यह समस्त लोक जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी तथा आकाश के पांच तत्वों से बना है। devotional gayatri jayanti story 
 समस्त जीव के भीतर माँ गायत्री प्राण रूप में विद्यमान है। जिस कारण माँ गायत्री क सभी शक्तियों का आधार रूप मानी गई है। भारतीय संस्कृति का पालन करने वाले को प्रतिदिन माँ गायत्री उपासना का जाप करना चाहिए। devotional gayatri jayanti story 

गायत्री महामंत्र और उसका अर्थ devotional gayatri jayanti story



ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्
हे ईश्वर मेरे प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप, परमात्मा हम आपको अंतरात्मा में धारण करते है। आप हमारी बल, बुद्धि, विद्या को सन्मार्ग पर प्रेरित करे। devotional gayatri jayanti story

गायत्री मन्त्र जाप का महत्व devotional gayatri jayanti story

माँ गायत्री को वेदमाता कहा गया है। सर्वप्रथम इस मंत्र और माँ गायत्री देवी का वर्णन विश्वामित्र ने किया था। विश्वामित्र ने ऋग्देव में इस मन्त्र को लिखा है। यह मन्त्र माँ गायत्री को समर्पित है जो वेदो की माता है। devotional gayatri jayanti story 
अमरनाथ यात्रा की कथा एवं इतिहास Devotional History in hindi
इस मन्त्र से आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है। धार्मिक ग्रंथो में इसे आध्यात्मिक चेतना का स्त्रोत भी माना गया है। माँ गायत्री की महिमा चारो वेद में निहित है। ऐसी मान्यता है कि जो फल ऋग्वेद, यजुर्वेद तथा सामवेद के अध्ययन से प्राप्त होता है। गायत्री मन्त्र के जाप से एक समान फल प्राप्त होता है।  गायत्री जयन्ती की कथा एवम इतिहास know-history-and-story-of-gayatri-jayanti गायत्री जयन्ती की कथा एवम इतिहास know-history-and-story-of-gayatri-jayanti 

गायत्री जयंती पूजन devotional gayatri jayanti story  

इस दिन प्रातः काल उठे, स्नान-ध्यान से निवृत होकर माँ गायत्री के निम्मित व्रत एवम पूजा का संकल्प लें। माँ गायत्री की प्रतिमा अथवा चित्र को स्थापित कर उनकी विधि-विधान पूर्वक पूजा करना चाहिए। माँ गायत्री पंचमुखी है जो मनुष्य के अंतरात्मा में निहित है।
अतः माँ की पूजा प्राण स्वरूप में करें। माँ गायत्री की कृपा से व्रती के जीवन की समस्त विघ्न दूर हो जाती है। इस प्रकार माँ गायत्री की कथा तथा महत्व सम्पन्न हुई। प्रेम से बोलिए माँ गायत्री की जय। devotional gayatri jayanti story 
( प्रवीण कुमार )


 
     
 
    

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