Monday, 15 August 2016

16 AUG 2016 MANGALA GAUURI VRAT

कैसे करें मंगला गौरी व्रत

मां मंगला गौरी का करें पूजन

WD|     

FILE

में के दूसरे दिन यानी मंगलवार के दिन 'मंगला गौरी व्रत' मनाया जाता है। श्रावण माह के हर मंगलवार को मनने वाले इस व्रत को (पार्वतीजी) नाम से ही जाना जाता है। धार्मिक पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं कोकी प्राप्ति होती है। अत: इस दिन माता मंगला गौरी का पूजन करके मंगला गौरी की कथा सुनना फलादायी होता है। 

ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास में मंगलवार को आने वाले सभी व्रत-उपवास मनुष्य के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करते हैं। अपने पति व संतान की लंबी उम्र एवं सुखी जीवन की कामना के लिए महिलाएं खास तौर पर इस व्रत को करती है। सौभाग्य से जुडे़ होने की वजह से नवविवाहित दुल्हनें भी आदरपूर्वक एवं आत्मीयता से इस व्रत को करती है। 

ज्योतिषीयों के अनुसार जिन युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कम‍ी‍ महसूस होती है अथवा शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हो, तो उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से फलदायी है। अत: ऐसी महिलाओं को सोलह सोमवार के साथ-साथ मंगला गौरी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। 

इस वर्ष मंगला गौरी का पहला व्रत 10 जुलाई 2012, मंगलवार से शुरू होकर, दूसरा 17 जुलाई, ‍तीसरा 24 जुलाई तथा चौथा व्रत 31 जुलाई को होकर, इसका समापन होगा। ज्ञात हो कि एक बार यह व्रत प्रारंभ करने के पश्चात इस व्रत को लगातार पांच वर्षों तक किया जाता हैं। तत्पश्चात इस व्रत का विधि-विधान से उद्यापन कर देना चाहिए। 

FILE
कैसे करें व्रत :
* इस व्रत के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें। 
* नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए। 
* इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। 
* मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें। 
* फिर - 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। 
व्रत संकल्प का अर्थ - ऐसा माना जाता है कि, मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि एवं मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं। तत्पश्चात मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। फिर उस प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक (आटे से बनाया हुआ) जलाएं, दीपक ऐसा हो, जिसमें सोलह बत्तियां लगाई जा सकें। 
* तत्पश्चात - 
'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। 
नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्..।। 
यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। माता के पूजन के पश्चात उनको (सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग क‍ी सामग्री, 16 चुडि़यां तथा मिठाई चढ़ाई जाती है। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि होना चाहिए। पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है। 

मां मंगला गौरी कथा के अनुसार - पुराने समय की बात है। एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी खूबसूरत थी और उनके पास बहुत सारी धन-दौलत थी। लेकिन उनको कोई संतान नहीं थी, इस वजह से पति-पत्नी दोनों ही हमेशा दुखी रहते थे। 

फिर ईश्वर की कृपा से उनको पुत्र प्राप्ति हुई, लेकिन वह अल्पायु था। उसे यह श्राप मिला हुआ था कि सोलह वर्ष की उम्र में के कारण उसकी मौत हो जाएगी। 

ईश्वरीय संयोग से उसकी शादी सोलह वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई, जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी। परिणामस्वरूप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था, जिसके कारण वह कभी विधवा नहीं हो सकती। इसी कारण धरमपाल के पुत्र ने 100 साल की लंबी आयु प्राप्त की। 

अत: शास्त्रों के अनुसार यह मंगला गौरी व्रत नियमानुसार करने से प्रत्येक मनुष्य के वैवाहिक सुख में बढ़ोतरी होकर पुत्र-पौत्रादि भी अपना जीवन सुखपूर्वक गुजारते हैं। ऐसी इस व्रत की महिमा है।

मंगला गौरी व्रत - उपवास विधि
Mangla Gauri Vrat - Method of Fasting

mangal1मंगला गौरी व्रत श्रावण मास में पडने वाले सभी मंगलवार को रखा जाता है. श्रावण मास में आने वाले सभी व्रत-उपवास व्यक्ति के सुख- सौभाग्य में वृ्द्धि करते है. सौभाग्य से जुडे होने के कारण इस व्रत को विवाहित महिलाएं और नवविवाहित महिलाएं करती है. इस उपवास को करने का उद्धेश्य अपने पति व संतान के लम्बें व सुखी जीवन की कामना करना है.

मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री
Material of Mangla Gauri Vrat Puja 


मंगलागौरी व्रत-पूजन के लिये निम्न सामग्री चाहियें.

1. फल, फूलों की मालाएं, लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लोंग, जीरा, धनिया (सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए), साडी सहित सोलह श्रंगार की 16 वस्तुएं, 16 चूडियां इसके अतिरिक्त पांच प्रकार के सूखे मेवे 16 बार. सात प्रकार के धान्य (गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) 16 बार.

मंगला गौरी व्रत कैसे करें
How to Perform Mangla Gauri Vrat

इस व्रत को करने वाली महिलाओं को श्रावण मास के प्रथम मंगलवार के दिन इन व्रतों का संकल्प सहित प्रारम्भ करना चाहिए. श्रावण मास के प्रथम मंगलवार की सुबह, स्नान आदि से निर्वत होने के बाद, मंगला गौरी की मूर्ति या फोटो को लाल रंग के कपडे से लिपेट कर, लकडी की चौकी पर रखा जाता है. इसके बाद गेंहूं के आटे से एक दीया बनाया जाता है, इस दीये में 16-16 तार कि चार बतियां कपडे की बनाकर रखी जाती है.

मंगला गौरी विधि
Mangla Gauri Mathod

  1. मंगला गौरी उपवास रखने के लिये सुबह स्नान आदि कर व्रत का प्रारम्भ किया जाता हैं.
  2. एक चौकी पर सफेद लाल कपडा बिछाना चाहियें.
  3. सफेद कपडे पर चावल से नौ ग्रह बनाते है, तथा लाल कपडे पर षोडश माताएं गेंहूं से बनाते है.
  4. चौकी के एक तरफ चावल और फूल रखकर गणेश जी की स्थापना की जाती है.
  5. दूसरी और गेंहूं रख कर कलश स्थापित करते हैं.
  6. कलश में जल रखते है.
  7. आटे से चौमुखी दीपक बनाकर कपडे से बनी 16-16 तार कि चार बतियां जलाई जाती है.
  8. सबसे पहले श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है.
  9. पूजन में श्री गणेश पर जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लोंग, पान,चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढाते हैं.
  10. इसके पश्चात कलश का पूजन भी श्री गणेश जी की पूजा के समान ही किया जाता है.
  11. फिर नौ ग्रहों तथा सोलह माताओं की पूजा की जाती है. चढाई गई सभी सामग्री ब्राह्माण को दे दी जाती है.
  12. मंगला गौरी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान करा, वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेंहन्दी व काजल लगाते है. श्रंगार की सोलह वस्तुओं से माता को सजाया जाता हैं.
  13. सोलह प्रकार के फूल- पत्ते माला चढाते है, फिर मेवे, सुपारी, लौग, मेंहदी, शीशा, कंघी व चूडियां चढाते है.
  14. अंत में मंगला गौरी व्रत की कथा सुनी जाती हैं.
  15. कथा सुनने के बाद विवाहित महिला अपनी सास तथा ननद को सोलह लड्डु देती हैं. इसके बाद वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी देती हैं. अंतिम व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या पोखर में विर्सिजित कर दिया जाता हैं.

आज का मंगलवार इसलिए है खास

राकेश/इंटरनेट डेस्क

Updated Tue, 06 Aug 2013 08:05 AM IST
mangla gauri vrat katha
मंगल को वैवाहिक जीवन के लिए अमंगलकारी माना जाता है क्योंकि कुण्डली में मंगल की विशेष स्थिति के कारण ही मंगलिक योग बनता है जो दांपत्य जीवन में कलह और विभिन्न समस्याओं का कारण बनता है।
मंगल की शांति के लिए मंगलवार का व्रत और हनुमान जी की पूजा को उत्तम माना जाता है। लेकिन अन्य दिनों की अपेक्षा सावन मास के मंगल का विशेष महत्व है। शास्त्रों में खास तौर पर स्त्रियों के लिए सावन मास के मंगल को सौभाग्य दायक बताया गया है।

शास्त्रों के अनुसार जो नवविवाहित स्त्रियां सावन मास में मंगलवार के दिन व्रत रखकर मंगला गौरी की पूजा करती हैं उनके पति पर आने वाला संकट टल जाता है और वह लंबे समय तक दांपत्य जीवन का आनंद प्राप्त होता हैं। आज यही शुभ व्रत है। इस व्रत से दोष की शांति कर सकते हैं और दांपत्य जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।

मंगला गौरी व्रत कथा
इस व्रत के विषय में कथा है कि एक सेठ का कोई पुत्र नहीं था। काफी प्रतीक्षा के बाद उसे एक संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन उसकी आयु कम थी। सोलहवें वर्ष में सांप के काटने से उसकी मृत्यु होनी थी। संयोग से उसकी शादी एक ऐसी कन्या से हुई जिसकी मां मंगला गौरी का व्रत करती थी। इस व्रत के प्रभाव के कारण उत्पन्न कन्या के जीवन में वैधव्य का दुःख आ नहीं सकता था। इससे सेठ के पुत्र की अकाल मृत्यु टल गयी और वह दीर्घायु हो गया।

व्रत की विधि
इस व्रत की विधि के विषय में बताया गया है कि व्रत करने वाले को माता मंगला गौरी की प्रतिमा को सामने रखकर संकल्प करना चाहिए कि वह संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी का व्रत रख रही है।

व्रती को एक आटे का दीपक बनाकर उसमें सोलह बातियां जलानी चाहिए इसके बाद सोलह लड्डू,सोलह फल,सोलह पान,सोलह लवंग और ईलायची के साथ सुहाग की सामग्री माता के सामने रखकर उनकी पूजा करें। पूजा के बाद लड्डू सासु मां को दें और शेष सामग्री किसी ब्राह्मण को दें। अगले दिन मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी अथवा तालाब में विसर्जित कर दें।

पुरूष क्या करें
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस व्रत से मंगलिक योग का कुप्रभाव भी काम होता है। पुरूषों को इस दिन मंगलवार का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे उनकी कुण्डली में मौजूद मंगल का अशुभ प्रभाव कम होता है और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
  • कैसा लगा
About 201 results (0.33 seconds) 
Stay up to date on results for sravana mangala gauri vrat puja vidhi katha aarti.
Create alert


About 16,900 results (0.67 seconds) 
Dahisar West, Mumbai, Maharashtra - From your Internet address - Use precise location
 - Learn more   






No comments:

Post a Comment