Wednesday 31 August 2016

31 AUG 2016 SURYA GRAHAN

नई दिल्ली, इण्डिया के लिए सूर्य ग्रहण के शुरू और अन्त होने के स्थानीय समय की सम्पूर्ण जानकारी

सूर्य ग्रहण का दिन

वाँ
सितम्बर २०१६
(बृहस्पतिवार)
सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण का स्थानीय समय


नई दिल्ली में ग्रहण नहीं है
ग्रहण दर्शनीय नहीं होगा।
टिप्पणी - २४ घण्टे की घड़ी नई दिल्ली के स्थानीय समय के साथ और सभी सूर्य ग्रहण के समय के लिए डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है)।
Solar eclipse of September 01, 2016

The eclipse of September 01, 2016 would be Annular Solar Eclipse.It would not be Total Solar Eclipseas the shadow of moon would cover only 97% of the Sun. However during annularity the shadow of the Moon would coincide with the center of the Sun to form a circular ring around the Sun.

The Solar Eclipse would be visible from most of the Africa continent. None of the eclipse would be visible from IndiaPakistanSri LankaNepalAfghanistanFiji and other Asian countries. It would also not be visible in EuropeNorth AmericaSouth America and Australia continents except some western coastal cities of Australia including Perth.

PretoriaCape TownJohannesburgDurbanHarare and Windhoek are some of the big cities in Africa continent where partial Solar Eclipse would be visible.

Partial Solar Eclipse would also be visible from Port Louis in Mauritius, some southern cities of Saudi Arabia and Yemen including Mecca and Medina. None of the eclipse would be visible in Dubai and Abu Dhabi.

The Annular Solar Eclipse would be visible from Franceville in Gabon, Nioki in Democratic Republic of the Congo, Toamasina and Marovoay in Madagascar and Tunduru in Tanzania, while the partial Solar Eclipse would be visible from most of the part of AfricaMadagascar and Indian Ocean.

For more information on eclipse visibility please check Plot of Annular Solar Eclipse
Start and End timings of Solar Eclipse
Map data ©2016
Map
Satellite
सितम्बर ०१, २०१६ के दिन सूर्य ग्रहण की मध्य रेखा
मानचित्र (अक्षरेखा, देशान्तर) पर केन्द्रित: 
(10.681° S, 37.7609° E)

कर्सर स्थिति (अक्षरेखा, देशान्तर) है: 
(63.8794° S, 66.6486° E)
About Using Eclipse Map 

The blue marker with eclipsed sun at the top shows the position of the greatest eclipse. The greatest eclipse is the point where the total eclipse can be observed for the maximum duration.

The green curve with the red central line represents the central line of the solar eclipse. Total solar eclipse can be observed from all points inside this curve which is also known as path of totality. Any location outside this curve would experience only partial eclipse.

By clicking on the map, local circumstances of the eclipse can be calculated. All timings in the popup window would be local to the current location of the user. If user's current location is set to some city in India and he clicks on the map to get start and end timings of the eclipse, visible only in Australia, then all displayed timings would be as per Indian Standard Time. One should change the location to some city in Australia to get local timings of Australia. By using search box labeled as "Search for city" at the top of the page, the current location can be changed.

GRAHANA SURYA CHANDRA ECLIPSE MANTRAS

 
 
 
 
 
 
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Hindus believe that the cosmic rays that radiate to the earth during the Solar and Lunar eclipses would affect the Human beings.

They have Mantras to be recited during this period.
Solar Eclipse.image.jpg.
Solar Eclipse. Image Credit.http://www.whitegadget.com/

The eclipses are divided into three parts, Beginning, Middle and the  portion from the middle to the end.

Mantras recited during this period will give the thousand fold effect for any Mantra.

Any good deed performed will yield results in a similar way.

adithya [Sun] Gayatri Mantra
Om Bhaskaraya Vidhmahe
Diva karaya Dheemahe
Thanno Surya Prachodayath.
Om, Let me meditate on the Sun God,
Oh, maker of the day, give me higher intellect,
And let Sun God illuminate my mind.
Om Aswadwajaya Vidhmahe
Pasa Hasthaya Dheemahe
Thanno Surya Prachodayath .
Om, Let me meditate on the god who has a horse flag,
Oh, God who holds the rope, give me higher intellect,
And let Sun God illuminate my mind.
Chandra [Moon] Gayatri Mantra
Om Kshira puthraya Vidhmahe
Amrithathvaya Dheemahe
Thanno Chandra Prachodayath.
Om, Let me meditate on the son of milk,
Oh, essence of nectar, give me higher intellect,
And let moon God illuminate my mind.


Slokas to be recited(any one of the following).

Preferable to start reciting  in the time between the beginning and the middle of Grahan

Doing 1008 Gayatri Japa is the Best.

Vishnu SahasraNama.

Siva Panchakshari.

Lalitha Sahsranama.

Mahamrutunjaya Mantra.

Aditya Hrudayam.

Vishnu Astakshari-“OmNamo Bhagavate Vaasudevaaya’

Things to avoid during Grahan.

  •  Performing any important work or deal.
  • After Grahan, many Hindus perform ritual bath. Take meal only after the ritual bath. Taking a holy dip in rivers or lakes is auspicious.
  • Many Hindus observe fasting on the day of Surya or Chandra Grahan.
  • Avoid outside food during Grahan and as well as the whole day.Perform ritual bath, Puja, Japam, havan and all other rituals only after Grahan Moksh Kaal (the time when grahan is released).
  • Pregnant women are advised  not to go out

  • Avoid eating at the time of Grahana.
  • Avoid eating the food which is cooked before Grahan. Take the food which is cooked after Grahan. People can eat the food that is preparedfrom ‘Soothak (Ashouch). To prevent food from Soothak, just spill some til seeds or keep grass blades (Durva grass) on the food before grahan.
  • Leave Durva Grass in Water before Grahan and remove them after the event.Drink only from this.
  • सूर्यग्रहण के उपाय


    suryagrahan-ke-upay


    सूर्य ग्रहण एक बहुत ही प्रमुख खगोलीय घटना, प्रकृ्ति का एक अद्भुत चमत्कार है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चन्द्रमा द्वारा बाधित हो जाए। अर्थात जब चन्दमा पृथ्वी और सूर्य के बीच यानि घूमते-घूमते चन्द्रमा, सूरज व पृथ्वी तीनो एक ही सीध में होते हैं और इस कारण चन्द्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है इसे सूर्यग्रहण कहा जाता हैं। सूर्यग्रहण अमावस्या के दिन में ही होता है। 

    वैदिक काल से ही हमारे ऋषि मुनियों को खगोलीय संरचना सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण तथा उनकी पुनरावृत्ति का ज्ञान था । ऋग्वेद के अनुसार अत्रिमुनि के परिवार के पास यह ज्ञान उपलब्ध था। महर्षि अत्रिमुनि ग्रहण के ज्ञान को देने वाले प्रथम आचार्य थे। 

    वेदांग ज्योतिष से हमारे वैदिक पूर्वजों के इस महान ज्ञान का पता चलता है। प्राचीन काल से ही ग्रह नक्षत्रों की दुनिया की इस घटना का ज्ञान भारतीय मनीषियों के पास था उन्होंने सफलतापूर्वक इसकी गणना करनी शुरू कर दी थी। ग्रहण पर धार्मिक, वैदिक, वैचारिक, वैज्ञानिक विवेचन प्राचीन ज्योतिषीय ग्रन्थों से ही होता चला आया है। 

    खगोल शास्त्रीयों के अनुसार 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चन्द्रग्रहण होते हैं। एक वर्ष में 5 सूर्यग्रहण तथा 2 चन्द्रग्रहण तक हो सकते हैं।किन्तु 4 से अधिक ग्रहण बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। 

    एक दिलचस्प बात और है कि चन्द्र ग्रहण से कहीं अधिक सूर्यग्रहण होते हैं। 3 चन्द्रग्रहण पर 4 सूर्यग्रहण का अनुपात आता है। 

    9 मार्च फाल्गुन मास की अमावस्या बुधवार को देश को पहला खग्रास सूर्यग्रहण है। यह ग्रहण सुबह 4.48 बजे से लगेगा और सुबह 7.32 बजे तक रहेगा । इसका मोक्ष काल सुबह 10. 15 तक रहेगा । पूर्ण सूर्यग्रहण सुबह सात बजकर 27 मिनट पर अपने चरम पर पहुंच जायेगा । इस वक्त ऐसा लगेगा कि चंद्रमा ने सूर्य को पूरी तरह ढंक लिया है । यह ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र तथा कुंभ राशि में लग रहा है। कुंभ राशि वाले इस अवसर पर विषेश पूजा अर्चना तथा दानादि कर लाभ उठा सकते हैं,अन्य राशियों पर भी इसका काफी असर देखने को मिलेगा। 

    ग्रहण का सूतक मंगलवार को शाम 5. 24 से शुरू होगा इसलिए मंगलवार शाम से ही समस्त मंदिरों के कपाट बंद हो जायेंगे , और पूजा पाठ भी नहीं होगी । 

    भारत में सूर्यग्रहण अधिकतम 22 % तक रहेगा । यह सूर्यग्रहण भारत के पश्चिमी भाग को छोड़कर पूरे देश में दिखाई देगा । यह ग्रहण पूर्वी राज्यों नागालैंड, मेघालय, आसाम, मणिपुर त्रिपुरा से शुरू होकर पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश, मध्य पूर्वी महाराष्ट्र, कर्नाटका, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में दिखाई देगा । यह गुजरात, पश्चिमी राजस्थान, पंजाब, पश्चिमी हरियाणा, पश्चिमी जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के तटीय इलाको में नज़र नहीं आएगा । 
    यह ग्रहण भारत के पूर्वी भागो में स्थित शहरो में अधिकतम 1 घंटा 20 मिनट और पश्चिमी भागो में स्थित शहरो में कम से कम डेढ़ मिनट तक दिखाई देगा । 

    ग्रहण को लेकर हमारे देश में काफी भ्रांतियां हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण का सूतक उसके लगने से 12 घंटे पहले ही लग जाता है इसलिए इस दौरान विशेषकर ग्रहण के दौरान कुछ चीजें बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए। 
    सूर्य ग्रहण में क्या करें ना करें

    मान्यता है कि सूर्यग्रहण के समय जप, तप, ध्यान, आराधना करने से अनंत गुना फल होता है। यदि कोई श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी के रस / पाक का स्पर्श करके 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहण की समाप्ति के बाद शुद्ध होकर उस रस को पी ले तो उसकी बुद्धि अत्यंत प्रखर हो जाती है वह भाषा, कविता, लेखन और वाक् पटुता में अत्यंत प्रवीण हो जाता है । 

    शास्त्रों के अनुसार सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। लेकिन बालक, बूढ़े, और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक भोजन कर सकते हैं। 

    चूँकि सूर्यग्रहण में 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है और सूतक काल में देव दर्शन वर्जित माने गये हैं इसीलिए सूर्यग्रहण में मन्दिरों के कपाट भी बन्द कर दिये जाते हैं । 

    सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय तो भोजन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए । शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक उसे नरक में वास करता है। फिर वह मनुष्य उदर रोग से पीड़ित होता है फिर काना, दंतहीन होकर उसे अनेक रोगो से पीड़ा मिलती है। 

    किसी भी ग्रहण पर चाहे वह चन्द्रग्रहण हो या सूर्यग्रहण पर किसी भी दूसरे व्यक्ति का अन्न नहीं खाना चाहिए । स्कन्द पुराण के अनुसार अनुसार यदि ग्रहण के दिन किसी दूसरे का अन्न खाये तो बारह वर्षों से एकत्र किया हुआ सम्पूर्ण पुण्य नष्ट हो जाता है। 

    ग्रहण के दौरान भगवान की मूर्ति को छूना, धूप बत्ती जलाकर पूजा करना, भोजन पकाना, खाना - पीना, खरीददारी करना, सोना, कामवासना आदि का त्याग करना चाहिए। ग्रहण के समय भोजन व पानी में दूर्वा या तुलसी के पत्ते डाल कर रखना चाहिए। ग्रहण के पश्चात पूरे घर की शुद्धि एवं स्नान कर दान देना चाहिए। 

    शास्त्रो के अनुसार ग्रहण लगने से जिन पदार्थों में तुलसी या कुश की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं माना जाते है । लेकिन पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना ही धर्म और स्वास्थ्य की दृष्टि से श्रेष्ठ होता है । 

    शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के स्पर्श के समय में स्नान, मध्य के समय में देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए। 

    सूर्य ग्रहण के दिन ग्रहण के पूर्ण होने पर सूर्य देव का शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना श्रेष्ठ और पुण्यदायक माना जाता है । 

    ग्रहण के समय पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान करना से बहुत पुण्य मिलता है लेकिन ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। 

    शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय गायों को हरा चारा या घास, चींटियों को पंजीरी या चीनी मिला हुआ आटा, पक्षियों को अनाज एवं निर्धन, असहायों को वस्त्रदान से बहुत ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है। 

    सूर्य फूल, ग्रहण वाले दिन पत्ते, लकड़ी अथवा तिनके, आदि नहीं तोड़ने चाहिए। इस दिन बाल तथा वस्त्र नहीं धोने, निचोड़ने चाहिए । ग्रहण के समय सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन, खाना पीना , उबटन लगाना, ताला खोलना किसी वस्तु का क्रय करना आदि कार्य वर्जित हैं। 

    शास्त्रो के अनुसार ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। 

    देवी भागवत के अनुसार भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को बिलकुल भी नहीं खोदना नहीं चाहिए, ऐसा करने या कराने वाला घोर नरक का भागी बनता है । 

    सूर्य ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नवीन कार्य शुरू नहीं करना चाहिए , उसमें असफलता ही हाथ लगती है । 

    सूर्य ग्रहण के दौरान व्यक्तियों को यथा संभव घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही ग्रहण के दर्शन करने चाहिए। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण का दर्शन बिलकुल ही त्याज्य है। 

    शास्त्रो के अनुसार गर्भवती स्त्री को ग्रहण नहीं देखना चाहिए, क्योंकि उसके दुष्घ्प्रभाव से शिशु विकलांग बन सकता है , गर्भपात की संभावना बढ़ती है । इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहू केतू उसका स्पर्श न करें । 

    सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को कुछ भी कैंची, चाकू आदि से काटने, वस्त्र आदि को सिलने से मना किया जाता है । क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग कट जाते हैं उसे रोग हो सकते है । 

    संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए। 

    सूर्यग्रहण के सूतक और ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, तप, पूजा पाठ, मन्त्र, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कार्यो का करना बहुत लाभकारी रहता है। ज्ञानी लोग इस समय का अवश्य ही लाभ उठाते है । धर्म सिन्धु के अनुसार, ग्रहण मोक्ष के उपरान्त पूजा पाठ, हवन, स्नान, छाया-दान, स्वर्ण-दान, तुला-दान, गाय-दान, मन्त्र जाप आदि श्रेयस्कर होते हैं। ग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। ग्रहण काल के समय अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है । 

    वेदव्यास जी ने कहा है कि - सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया जप , तप, ध्यान, दान आदि एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। और यदि यह गंगा नदी के किनारे किया जाय तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है। 

    ग्रहण के समय अपने गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा किसी भी सिद्ध मन्त्र का जाप अवश्य ही करें ऐसा ना करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। 

    सूर्य ग्रहण के दिन जलाशयों, नदियों व मन्दिरों में राहू, केतु व सुर्य के मंत्र का जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है और ग्रहों का दुष्प्रभाव भी खत्म हो जाता है । 

    ग्रहण के समय किसी भी दशा में क्रोध, हिंसा या किसी के साथ ठगी नहीं करनी चाहिए। 

    ग्रहण के समय क्रोध करने, हिंसा करने या किसी भी जीव-जन्तु की हत्या करने से चिर काल तक नारकीय योनी में भटकना पड़ता है , किसी से धोखा देकर उसका धन हड़पने से सर्प की योनि मिलती है उसकी आने वाली पीढ़ियों को भी आर्थिक संकटों से जूझना पड़ता है। 

    ग्रहण वाले दिन किसी भी व्यक्ति को किसी भी दशा में माँस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए, बहुत से लोग ग्रहण से पहले या बाद में उक्त का सेवन करते है और यह तर्क देते है कि उन्होंने ग्रहण के समय नहीं लिया है लेकिन यह बिलकुल गलत है । ग्रहण वाले दिन माँस मदिरा का सेवन करने वाला घोर नरक का पापी होता है इसका पाप उसके परिजनों को भी भोगना पड़ता है । ऐसे व्यक्ति के परिवार में असाध्य रोग अपना घर बना लेते है। 

    सूर्यग्रहण में बाल और दाढ़ी ना कटवाएं और बालो में डाई या मेहंदी भी नहीं लगानी चाहिए । 

    सर्यग्रहण में किसी से भी उधार ना लें और ना ही किसी को उधार धन दें । उधार लेने से दरिद्रता आती है और उधार देने से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है । 

    ग्रहण की अवधि में गर्भवती का ‘संतान गोपाल मंत्र’ का जाप करना अति उत्तम माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र के जाप से गर्भवती को गुणवान पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। 

    * देवकीसुत गोविंद, वासुदेव जगत्पते,
    * देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं भजे।
    * देव देव जगन्नाथ गोत्रवृद्धिकरं प्रभो,
    * देहि में तनयं शीघ्रं, आयुष्मन्तं यशस्विनम्।।
    * इसका अर्थ है, जगत्पति हे भगवान कृष्ण! मैं आपकी ही शरण में हूं। हे जगन्नाथ, मुझे मेरे गोत्र की वृद्धि करने वाला और यशस्वी पुत्र प्रदान कीजिए। 

    सूर्य ग्रहण के समय सूर्य देव का मन्त्र "ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ "॥ और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मन्त्र का जाप अवश्य ही करना चाहिए ।



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